सक्ती

सबसे पुरानी तहसील सक्ती अब जिले के रूप में अस्तित्व में आएगी

बहुत प्रयास और आंदोलन हुए तब जाकर मिली सफलता


सक्ती – सक्ती स्टेट (राज्य) ब्रिटिश राज के दौरान भारत की रियासतों में से एक था जो बाद में पूर्वी राज्य एजेंसी बन गई । 1 जनवरी 1948 को रियासत का भारतीय संघ में विलय हो गया इस प्रकार अस्तित्व समाप्त हो गया । विदित हो कि सक्ती छत्तीसगढ़ की सबसे छोटी रियासत थी। इसके शासक गोंड थे। अब यह छत्तीसगढ़ का नया जिला बनने जा रहा है, आगामी 1 सितंबर को यह अस्तित्व में आ जाएगा। प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल शुभारंभ करेंगे। विगत वर्ष 15 अगस्त 2021 को सक्ती को जिला बनाने की घोषणा की गई थी आप साल भर बाद बिलासपुर संभाग की सबसे पुरानी तहसील सक्ती अब जिले के रूप में अस्तित्व में आ जाएगी।

सक्ती की बात जो शायद ही जानती होगी युवा पीढ़ी


सक्ती राज्य के शासक राज गोंड थे। किंवदंती कहती है कि इसकी स्थापना दो जुड़वा भाइयों ने की थी जो संबलपुर के राजा के सैनिक थे। राजधानी छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती में थी सक्ती के अंतिम शासक राणा बहादुर लीलाधर सिंह थे, जिनका जन्म 3 फरवरी 1982 को हुआ था जो 4 जुलाई 1914 को नए राणा के रूप में सफल हुए राजसी परिवार अभी भी मौजूद है और इसका नेतृत्व राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह कर रहे हैं। जिन्होंने अपनी हांकी टीम में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और मध्य प्रदेश राज्य सरकार के मंत्री भी रहे।

राजनीति में था राज परिवार का दबदबा ऐसे बदली परिस्थितियाँ

सक्ती बिलासपुर संभाग की सबसे बड़ी पुरानी तहसील है। इस नाते लगातार सक्ती को जिला बनाने की मांग बरसों से की जाती रही है। 1998 में जिस समय जांजगीर-चांपा में जिला बना तब भी सक्ती को जिला बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन राजनैतिक परिस्थितियां ऐसी रही कि जांजगीर-चांपा जिला अस्तित्व में आ गया। 1998 में लगातार बरसों से विधायक रहे राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह को भी विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और भाजपा से मेधाराम साहू विधायक निर्वाचित हो गए। लेकिन भाजपा की सरकार होने के बाद भी वे सक्ती को जिला बनवा पाने में सफल नहीं हो सके। 2008 तक वे 10 वर्ष सक्ती प्रतिनिधित्व किए मंत्री भी बने लेकिन इसका कोई खास लाभ सक्ती को नहीं मिल पाया। 2008 में कांग्रेस से श्रीमती सरोजा मनहरण राठौर विधायक बनी लेकिन भाजपा की सरकार होने के कारण फिर कोई बड़ा काम नहीं हो पाया।

16 सितंबर 2015 में बना शैक्षणिक जिला


भाजपा की सरकार लगातार सक्ती को जिला बनाने का वादा कर रही थी। 2013 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन सीएम रमन सिंह ने वादा किया था कि भाजपा का विधायक बना तो सक्ती जिला बनेगा। डॉ खिलावन साहू विधायक बने। पुर्ण जिला तो नहीं बना लेकिन 15 सितंबर 2015 को शैक्षणिक जिला बन गया। पहले जिला शिक्षा अधिकारी एनके चंद्रा रहे।

डॉ महंत के प्रतिनिधित्व से प्रदेश की राजनीतिक में फिर बढ़ा सक्ती का कद


2018 के विधानसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे डॉ चरणदास महंत ने सक्ती से चुनाव लड़ने का फैसला किया। कांग्रेस ने चुनाव में वादा किया कि अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो सक्ती को एक माह के भीतर जिले का दर्जा दे दिया जाएगा। डॉ महंत चुनाव जीते और विधानसभा अध्यक्ष बने। प्रदेश में सक्ती का कद बढ़ गया। वादे के अनुरूप 15 अगस्त 2021 को प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जिला बनाने की घोषणा कर दी।